संक्रमण के शुरूआती दिनों में जांच रिपोर्ट गलत आने की संभावना: वैज्ञानिकों का दावा

संक्रमण के शुरूआती दिनों में जांच रिपोर्ट गलत आने की संभावना: वैज्ञानिकों का दावा

सेहतराग टीम

संक्रमण के शुरूआती दिनों में जांच रिपोर्ट गलत आने की संभावना अधिक है। शोध से पता चला है कि पहले चार दिन में जांच से 67 फीसदी रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव आ सकती हैं।

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जॉन्स हॉपकिंस मेडिसिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि आठ दिनों के भीतर जांच होने पर पांच में से एक रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव होती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अमेरिका में करीब 19 लाख से अधिक ऐसे मामले हैं। यानी मरीजों का आंकड़ा मौजूदा आंकड़े से अधिक हो सकता है।

डॉक्टर लॉरेन कुरिका के मुताबिक, निगेटिव रिपोर्ट या लक्षण नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि संक्रमण नहीं है। एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित सात वैज्ञानिकों और 1,330 मरीजों पर हुए अध्ययन के मुताबिक, फॉल्स निगेटिव वाले ही सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने वाले (सुपर स्प्रेडर) की भूमिका में हैं। इसी से कोरोना की कड़ी तोड़ना मुश्किल हो रहा है।

आठवें दिन 20% फॉल्स निगेटिव संभव:

शोध के अनुसार, संक्रमण के पहले दिन जांच के फॉल्स निगेटिव की संभावना 100 फीसदी है। चौथे दिन 67 फीसदी और बुखार, खांसी, छींक की शुरुआत के समय 38 फीसदी रह सकती है। आठवें दिन भी रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव आने की संभावना 20 फीसदी तक रह जाती है।

एक से तीन दिन इंतजार करना होगा:

डॉ. लॉरेन बताती हैं कि कोरोना के लक्षण के बावजूद रिपोर्ट आने पर निश्चिंत न हों। कम से कम 3-4 दिन बाद दोबारा जांच कराएं। आइसोलेट रहें। बाद में शरीर में वायरल लोड बढ़ने पर संक्रमण की पहचान संभव है। इसी तरह संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है।

 

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